बढती हुई महंगाई के बीच आम आदमी के लिए एक राहत भरी खबर सामने आ रही हैं. यह किसान भाईयों  के लिए भी खुशी की बात है. केंद्र सरकार ने मसूर की दाल के बारे में लिया है महत्वपूर्ण निर्णय,  इस बारे में जानने के लिए पढ़िए ये पूरी खबर



दरअसल केंद्र सरकार ने मसूर की दाल पर आयात शुल्क घटाकर शून्य  कर दिया है एवं कृषि बुनियादी ढांचा विकास उपकर ( एग्री इन्फ्रा डेवेलोपमेंट सेस)  को घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है. बता दें पहले मसूर पर कृषि सेस 20 फीसदी था जिसे घटाकर 10 परसेंट कर दिया गया है. वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमण के अनुसार मसूर दाल पर एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवेलोपमेंट सेस को 20 फीसदी  की मौजूदा दर से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है. अमेरिका को छोड़कर किसी भी अन्य देश  से आयातित मसूर दाल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को 10 फीसदी  से घटाकर शून्य कर दिया गया है.  इसके साथ ही  अमेरिका के अलावा सारे  देशों से भी एक्सपोर्ट ड्यूटी खत्म कर दी गई है. मसूर पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को 30 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत  कर दिया गया है.


आयात को कम करने की पहले से हो रही थी तैयारी - Preparations were already being made to reduce imports

बता दें आयात को कम करने की सरकार पहले से ही तैयारी कर रही थी. अंतर मंत्रालयी बैठक में कृषि सेस घटाने पर  मसूल दाल पर कृषि सेस को 20 परसेंट से घटाकर 10 परसेंट कर दिया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि सरकार द्वारा लिए गए फैसले जिनमें दालों के आयात की मंजूरी से लेकर स्टॉक सीमा की जानकारी देने तक शामिल है. उससे दाम घटाने में बड़ी मदद तो नहीं मिली. लेकिन इसके बाद भी सरकार ने कृषि सेस घटाने का फैसला लिया.


विशेषज्ञों का मानना है कि दालों के आयात में तेजी लाने के लिए सरकार ने सेस में कटौती का फैसला लिया ताकि बड़ी मात्रा में दाल की आवक बढ़े और कीमतों को नियंत्रित किया जा सके.


दाल की कीमतें घटाने का उद्देश्य – The purpose of reducing the prices of pulses

देश में दाल की बढ़ती कीमतों को नज़र में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है. कृषि सेस और इंपोर्ट ड्यूटी घटाने से सस्ती दर पर दालें मिल सकेंगी और यह आम लोगों के लिए बहुत राहत की बात होगी. इसके साथ ही व्यापारी बड़ी मात्रा में दालों का आयात कर सकेंगे.


घरेलू स्तर पर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एवं कीमतों में बढ़ती तेजी को थामने के लिए सरकार ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है. खेती और फसलों के आयात- निर्यात से संबंधित महत्वपूर्ण ख़बरों को जानने के लिए पढ़ें कृषि जागरण हिंदी पोर्टल की ख़बरें.