लद्दाख में आंख दिखा रहे चीन को भारत ने उसके घर में घुसकर घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। भारत ने दक्षिण चीन सागर में इसी महीने अपने 4 घातक युद्धपोत भेजने का ऐलान कर दिया है।


भारतीय नौसेना के ये युद्धपोत करीब 2 महीने तक दक्षिण चीन सागर और दक्षिण पूर्वी एशिया में रहेंगे। ये वियतनाम, ऑस्‍ट्रेलिया, मलेशिया, इंडोनेशिया और फिलीपीन्‍स के साथ युद्धाभ्‍यास करेंगे। इन सभी देशों का चीन के साथ दक्षिण चीन सागर में विवाद चल रहा है।


भारत जिन युद्धपोतों को भेज रहा है, उनमें गाइडेड मिसाइल डेस्‍ट्रायर, गाइडेड मिसाइल फ्रीगेट, एंटी सबमरीन पोत और गाइडेड मिसाइल पोत शामिल हैं। ये युद्धपोत ऐसे समय पर भेजे जा रहे हैं जब ताइवान पर चीन के हमले का खतरा मंडरा रहा है। यही नहीं चीन के आक्रामक रुख से पूरे साउथ चाइना सी में उसके पड़ोसी देश परेशान हैं। फिर चाहे वियतनाम हो या फिर इंडोनेशिया।


भारतीय नौसेना के अधिकारियों का कहना है कि दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में मित्र देशों के साथ बेहतर पहुंच और शांति बनाए रखने के लिए भारत हमेशा से प्रयासरत रहा है। ये डिप्लोयमेंट भी इसी कड़ी का हिस्सा है। भारतीय जहाज गुआम के तट पर अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त युद्ध अभ्यास में भाग लेंगे।


गलवान झड़प के बाद भारत ने बदली रणनीति

भारतीय सेना पारंपरिक रूप से चीन का विरोध करने से बचती रही है, लेकिन पिछले साल लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़पों के बाद भारत का मूड सख्त हो गया है। तब से भारत ने चीन को धूल चटाने के लिए रणनीतिक तौर पर अमेरिका के करीब आई है।


भारत इस क्षेत्र में चीन से परेशान रहने वाले देशों के साथ सुरक्षा संबंध और मजबूत करने पर काम कर रहा है। इसे क्षेत्रिय प्रयासों में भारत की बड़ी भूमिका के तौर पर देखा जा रहा है।


अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया भी देते रहते हैं चेतावनी

पिछले सप्‍ताह ही ब्रिटेन का एयरक्राफ्ट कैरियर इस इलाके से गुजरा है। यही नहीं अमेरिका के महाविनाशक युद्धपोत इस इलाके से अक्‍सर गुजरते रहते हैं। इसी समुद्र में चीन की नौसेना पीएलए भी नियमित अंतराल पर अभ्‍यास करती रहती है। ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन को कई बार चुनौती दे डाली है। चीन दक्षिण चीन सागर को अपना क्षेत्र मानता है जबकि इससे लगने वाले देश इसकी मान्यता नहीं देते।