आजकल के अधिकतर युवा खेती छोड़ अच्छी नौकरी की तालाश में जुटे रहते हैं, लेकिन शायद वह नहीं जानते हैं कि आज के समय में जितना मुनाफा खेती से कमाया जा सकता है, उतना किसी भी नौकरी से नहीं कमाया जा सकता है.
वैसे भी आधुनिक समय में कृषि क्षेत्र का विकास करने के लिए तरह-तरह की तकनीक विकसित की जा रही हैं, जिसकी मदद से किसान बहुत आसानी से खेती कर रहे हैं. इसकी एक मिसाल मध्य प्रदेश के जिला मंदसौर में रहने वाले किसान भागवत शर्मा भी हैं, जो कि खरीफ फसलों की खेती के साथ-साथ अन्य फसलों की खेती भी करते हैं.
इन फसलों की करते हैं खेती
किसान भागवत शर्मा का कहना है कि वह प्याज, सोयाबीन और अफीम की खेती करते हैं. सोयाबीन एक खरीफ की फसल है, जिसकी खेती से उनके क्षेत्र के किसान अच्छी उपज प्राप्त कर रहे हैं, साथ ही प्याज एक नकदी फसल है, जिसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है, इसलिए किसानों के लिए प्याज और सोयबीन की खेती अच्छा मुनाफा दे सकती है.
खेती के लिए तैयार करते हैं नर्सरी
किसान का कहना है कि वह बारिश के मौसम में खरीफ फसल की बुवाई करते हैं. इसके साथ ही प्याज की खेती के लिए पहले नर्सरी तैयार करते हैं. इसकी तैयार गर्मी के मौसम से ही शुरू कर देते हैं और जैसी ही बारिश होती है, इसकी बुवाई करना शुरू कर देते हैं. इसकी बुवाई के लिए क्यारी बनाकर तैयार करते हैं.
फसलों के लिए किस्मों का चुनाव
किसान भागवत बताते हैं कि वह सोयाबीन की खेती के लिए प्रमाणित बीजों का चुनाव करते हैं. इसका कारण यह है कि सोयाबीन का अंकुरण कमजोर हो गया है, इसलिए प्रमाणित बीजों की अंकुरण क्षमता अच्छी रहती है. अगर अंकुरण अच्छा होगा, तो फसल की उपज भी अच्छी मिलेगी. उन्होंने आगे बताया कि प्याज की बुवाई के लिए खुद बीज तैयार करते हैं, जिससे उन्हें एकदम लाल रंग की प्याज प्राप्त होती है.
अफीम की खेती से कमा रहे मुनाफा
युवा किसान भागवत शर्मा का कहना है कि आज के समय में अफीम की खेती करना बहुत लाभकारी है. मगर इसकी खेती वही किसान कर सकते हैं, जिनके पास इसकी खेती करने का लाइसेंस प्राप्त हो. हलांकि, मौजूदा समय में सरकार अफीम की खेती के लिए लाइसेंस नहीं दे रही है. अगर किसी किसान के पास पहले से इसकी खेती करने का लाइसेंस है, तो सरकार वह इसे रिन्यूअल कर सकती है, जिसके बाद आप अफीम की खेती कर सकते हैं.
अफीम की बुवाई
किसान का कहना है कि वह अफीम की खेती में बुवाई अक्टूबर के आखिरी सप्ताह और नबंबर के पहले सप्ताह में कर देते हैं. इसके लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह तैयार करते हैं. इसके बाद छोटे-छोट बीजों की बुवाई करते हैं और खाद का प्रयोग करते हैं. उनका कहना है कि अफीम की बुवाई में गोबर की खाद ज्यादा लगती है, साथ ही डी.ए.पी व सल्फर का प्रयोग करते हैं. इसके बीज काफी छोटे होते हैं, इसलिए जिस तरह एक छोटे बच्चे को बड़ा करते हैं, ठीक उसी तरह अफीम के पौधे की देखभाल करनी पड़ती है. इसके अलावा, पानी की कम आवश्यकता होती है.
फसलों का कीट और रोग से बचाव
किसान का कहना है कि आज के समय का मौसम इतना बदला गया है कि आप बिना कीटनाशक के प्रयोग से फसल उगा सकते हैं. बस इसके लिए रोजाना पौधों की अच्छी तरह देखभाल करनी होती है. अगर फसलों में किसी रोग या कीट का प्रकोप हो जाता है, तो आप फसलों पर उपयोगी कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं.
फसलों की सिंचाई
किसान का कहना है कि वह फसलों की सिंचाई के लिए ड्रिप तकनीक का उपयोग ज्यादा करते हैं. उन्होंने आगे बताया कि वह सरकार द्वारा सिंचाई यंत्रों पर दी जाने वाली सब्सिडी का लाभ भी उठाते हैं.
कोरोना काल में आई समस्या
अगर कोरोना काल की बात करें, तो इस महामारी के दौर में फसलों की अच्छी कीमत नहीं मिल पाई थी, इसलिए इसका थोड़ा प्रभाव खेती पर पड़ा था.
किसानों के लिए सन्देश
किसान भागवत शर्मा कहते हैं कि मैं कृषि जागरण के मंच से किसानों को सन्देश देना चाहता हूं कि किसानों के लिए कृषि आमदनी का एक अच्छा स्त्रोत है. किसान इन फसलों की खेती कर अपना भविष्य सुधार सकते हैं.