डिस्कस थ्रोअर कमलप्रीत कौर फाइनल से पहले काफी नर्वस थीं और इसी वजह से वे रात को सो नहीं पाईं। सोमवार को उन्होंने इवेंट में जाने से करीब 4 घंटे पहले अपनी कोच राखी त्यागी से बातचीत की और कहा कि मुझे रात को नींद नहीं आई। यह बात राखी ने भास्कर को दिए इंटरव्यू में कही है।
राखी ने कहा- कमलप्रीत ने मुझे बताया कि फाइनल इवेंट की चिंता के कारण उन्हें नींद नहीं आई। वे काफी नर्वस महसूस कर रही हैं। मैंने उनसे कहा कि सभी चीजों को भूल जाओ, सिर्फ बेस्ट देने पर फोकस करना है। आपके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। इसलिए चिंता बिल्कुल न करें।
कमलप्रीत अपनी कोच राखी त्यागी के साथ।
मुझे कमलप्रीत के साथ होना चाहिए था
मैं इस वक्त काफी नर्वस कर रही हूं। इवेंट उसका है, पर मैं नर्वस हूं। मुझे लग रहा कि मुझे उसके साथ होना चाहिए था। मैं वहां रहती तो उसको मोटिवेट कर रही होती।
2018 में इंजरी के बाद कमलप्रीत परेशान हो गई थीं
कोच राखी ने बताया कि 2018 एशियन चैंपियनशिप के ट्रायल की तैयारी के दौरान कमलप्रीत को इंजरी हो गई थी। उन्हें लगा कि उनका करियर समाप्त हो जाएगा। एक हफ्ते तक वे परेशान रहीं। पर मैंने मोटिवेट किया।
क्वालिफाइंग में कमलप्रीत कौर दूसरे स्थान पर थीं
शनिवार को महिलाओं के डिस्कस थ्रो के क्वालिफाइंग राउंड में कमलप्रीत कौर ओवरऑल दूसरे स्थान पर रही थीं। उन्होंने 64 मीटर चक्का फेंका था। भारत की एक अन्य एथलीट सीमा पूनिया 60 मीटर ही चक्का फेंक पाई थीं और वे फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाईं। कमलप्रीत कौर अगर अपना बेस्ट देती हैं, तो भारत का मेडल पक्का हो सकता है। कमलप्रीत 21 जून को पटियाला में हुए इंटर स्टेट कॉम्पिटिशन के दौरान 66.59 मीटर थ्रो किया था।
रियो ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली क्यूबा की थ्रोअर डेनिया कैबेलरो ने 65.34 मीटर थ्रो किया था, जबकि फ्रांस की मलेनिया रॉबर्ट ने 66.73 मीटर के साथ सिल्वर और क्यूरेशिया की सेन्ड्रा परकोविच ने 69.21 मीटर के साथ गोल्ड मेडल जीता था।
कमलप्रीत शॉट-पुटर थीं
कमलप्रीत पहले शॉट-पुटर थीं। स्कूल लेवल पर उनकी हाइट को देखकर फिजिकल टीचर ने शॉटपुट की ट्रेनिंग के लिए प्रेरित किया था। बाद में जब वे बादल की SAI एकेडमी में आईं, तो अन्य बच्चों को देखकर डिस्कस थ्रो करना शुरू किया। वे 2014 से कोच राखी त्यागी के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग कर रही हैं। राखी ने उनके टैलेंट को देखकर उन्हें प्रेरित किया। वे शॉटपुट में डिस्ट्रिक्ट लेवल पर मेडल जीत चुकी हैं।
कमलप्रीत के जन्म पर नहीं मनाई गई थी खुशी
कमलप्रीत कौर का जन्म 4 मार्च 1996 को मुक्तसर जिले के गांव कबरवाला में मध्यमवर्गीय किसान कुलदीप सिंह के घर हुआ था। पिता के पास ज्यादा जमीन नहीं है और पहली बेटी होने पर परिवार ने खुशी भी नहीं मनाई थी। उसके बाद उन्हें एक बेटा भी हुआ। कमलप्रीत ने 10वीं तक की पढ़ाई पास के गांव कटानी कलां के प्राइवेट स्कूल से की है।
कद की बड़ी और भारी शरीर की होने के कारण स्कूल में उसे एथलेटिक्स में शामिल किया गया। कमलप्रीत के पिता बताते हैं, "हमारे पास इतनी पूंजी नहीं थी कि वे बेटी को ज्यादा खर्च दे सकें। किसान परिवार में होने के कारण जितना हो पाता, वे उसे दूध-घी आदि देते रहे हैं, मगर प्रैक्टिस के लिए वे कई बार 100-100 किलोमीटर का सफर खुद तय करके जाती रही हैं। आज उसे अपनी मेहनत का परिणाम मिल रहा है। उम्मीद है वे मेडल जीतेंगी।"